Nepal Gen Z Protest, Protest के सामने झुकी सरकार, फैसला वापस

 



नेपाल की ओली सरकार जेनजी प्रोटेस्ट के सामने झुक गई है, लेकिन कम से कम 20 लोगों की मौत के बाद 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाने का फैसला सरकार ने वापस ले लिया है। यह फैसला तब वापस लिया गया जब लगभग 20 लोग मारे जा चुके हैं और 300 से ज्यादा लोग बुरी तरह से घायल हैं।


देर रात नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का एक बयान भी आया। बोले कि देश में जो खतरनाक स्थिति बनी हुई है, उसका कारण घुसपैठिये हैं। इसके साथ उन्होंने माना कि सरकार बैन लगाने का कारण जनता को सही तरीके से समझाने में असफल रही। पीएम ओली ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के बीच घुसपैठ की वजह से भयावह स्थिति आई है। सोशल मीडिया साइट्स पर लगाए गए प्रतिबंध के कारणों को हम समझाने में विफल रहे। पिछले करीब एक साल से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को रजिस्टर करने की बात कही जा रही थी, क्योंकि इनकी वजह से समाज में कुछ अनचाहे बदलाव आते हैं। इसी के साथ पीएम ओली ने एक चेतावनी भी दी, कहा कि हंगामा करने वालों के खिलाफ न्यायिक जांच हो सकती है। घुसपैठ और तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ कानूनी एक्शन भी लिया जा सकता है। 


8 सितंबर को प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ नेपाल की पार्लियामेंट बिल्डिंग के सामने जुटे थे। प्रदर्शनकारियों ने पार्लियामेंट भवन के गेट को आग लगा दी थी। जिसके बाद नेपाल सरकार ने शूट एट साइट का आदेश जारी कर दिया था। यानी की देखते ही गोली मारने के ऑर्डर। आदेश के बाद कई लोगों की मौत हो गई थी और प्रोटेस्ट और ज्यादा हिंसक हो गया था। हालात हाथ से निकलते दिखे तो सरकार ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और बैन हटाने के फैसले को वापस ले लिया गया। कैबिनेट की इमरजेंसी मीटिंग वाली जानकारी पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने दी। गुरुंग नेपाल सरकार में संचार, सूचना और प्रसारण मंत्री हैं।


नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने 8 तारीख को प्रोटेस्ट के दौरान अपना इस्तीफा दे दिया था। प्रोटेस्ट में कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई है। इन मौतों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया। यह इस्तीफा उन्होंने कैबिनेट मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री केपी ओली को सौंपा था।


अब इस प्रोटेस्ट से जुड़े दो सवालों पर बात करते हैं। पहला, कि प्रोटेस्ट का कारण क्या है? दूसरा, Gen Z प्रोटेस्ट क्यों कहा जा रहा है?

पहले जानेंगे प्रोटेस्ट का कारण। दरअसल, नेपाल में दो हज़ार चौबीस में कानून लागू किया गया था, जिसके तहत सभी सोशल मीडिया कंपनीज् को नेपाल में ऑपरेशन के लिए एक स्थानीय कार्यालय स्थापित करना जरूरी है। सरकार का तर्क है की सोशल मीडिया पर अनियंत्रित कांटेंट को कंट्रोल में रखने के लिए यह कानून जरूरी था। फिर जिन कंपनियों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया, उन्हें छोड़ कर बाकी दूसरी कंपनीज् को बैन कर दिया गया। 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया गया था। इनमें फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और यूट्यूब भी शामिल है। मतलब की ऐसे प्लेटफॉर्म्स भी जिनका यूज काफी ज्यादा होता है। नेपाल सरकार का कहना है की यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि इन प्लेटफॉर्म्स ने नेपाल के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था। सरकार के इस फैसले के विरोध में दस हज़ार से ज्यादा Gen Z लड़के और लड़कियां सड़क पर उतर आए। इसीलिए इस प्रोटेस्ट को Gen Z प्रोटेस्ट कहा जा रहा है।


हालांकि इस प्रोटेस्ट को Gen Z कहना गलत होगा। रिपोर्ट के मुताबिक एक  प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि प्रदर्शन का नेतृत्व सिर्फ जेनजी कर रहे हैं। इस आंदोलन में हर उम्र के लोग शामिल हैं। इनका मकसद सिर्फ यह नहीं है कि सोशल मीडिया पर लगे बैन को हटा दिया जाए। यह प्रोटेस्ट भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ भी है। बहरहाल, सरकार बैन का फैसला वापस ले चुकी है।


Comments

Popular posts from this blog

Indian Railway एक तारीख से नए नियम के साथ यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे रिजर्वेशन में नए बदलाव।

TikTok की वापसी का Viral सच | सरकार ने दिया Final जवाब